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लेखनी प्रतियोगिता -15-Mar-2022

मैं चाहकर भी नहीं भुला सकता, बरसात की वो रात, मेरी मोहब्ब्त की अधूरी दस्तान।

एक रोज जब काम से जल्दी घर लौट आया तो सोचा कि घर की थोड़ी सफाई कर लेता हूं जो कुछ फालतू की चीजों होंगी उन्हें किसी कबाड़ी वाले को दे दूंगा। फालतू चीजों को निकालते हुए सालों पुराना एक छोटा सा बक्सा हाथ लग गया। उसे खोल कर देखा तो कुछ पुरानी यादें ताजा हो गईं और मेरी सोच पांच साल पीछे पहुंच गई।

उन दिनों हमारे कॉलेज का नाम एक डांस कंपिटीशन के लिए चुना गया था जो दूसरे शहर में होना था। मेरी जिम्मेदारी कास्ट्यूम की अरेंजमेंट करने में लगाई गई थी। कंपिटीशन से पिछली शाम जब सब कास्ट्यूम का निरीक्षण किया तो देखा कि एक कास्ट्यूम में थोड़े सुधार की जरूरत थी। मैं(राज) किसी टेलर की दुकान ढूंढने के लिए मार्किट की तरफ चला गया। मेरे साथ मेरा ख़ास दोस्त अमन भी साथ में ही था जो कास्ट्यूम वाले काम में पार्टनर था। हम दोनों ढूंढते हुए एक दुकान के पास पहुंच गए। अमन और मैं ड्रेस सही करवाने के लिए दुकान के भीतर चले गए। 

"इसे सही होने में लगभग आधा घंटा लग जाएगा। तब तक आप लोग चाहो तो अंदर वाले कैबिन में बैठ कर इंतजार कर लीजिए।" इतना कह कर दुकान वाला पीछे वर्किंग एरिया में चला गया। मैं और अमन मार्किट में घूमने लगे। घूमते हुए रात के आठ बज चुके थे। अमन को भूख लगी तो वो कुछ खाने चला गया। मैं वहां रुक कर उसका इंतज़ार कर रहा था कि अचानक बारिश शुरू हो गई। बारिश से बचने हेतु मैं वहीं एक दुकान के पास जाकर खड़ा हो गया।

अचानक एक साइकिल मेरे सामने से गुजरते हुए चली गई। पानी में से निकलते हुए उसके साइकिल से कुछ छींटे मेरी तरफ उछल पड़े। तो उसने माफ़ी मांगने के अंदाज में पलटते हुए देखा। सादगी वाले कपड़े में वो क्या गजब की खुबसूरत ‌थी। नशीली आंखें, सुराही दार गर्दन पर एक छोटा सा तिल, एक आंख दबा कर हिचकिचाहट के साथ मेरी तरफ देखना, लंबे लहलहाते हुए बाल (आगे और भी कुछ देख पाता उससे पहले उस बेवकूफ अमन ने आ कर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए मुझे हिलाया)।

"क्या हुआ राज? ऐसे बुत बन कर रास्ते पर क्या देखें जा रहे हो? चले काम हो गया है। अब वापस चलते हैं, सब हमारा इंतजार कर रहे होंगे। अमन की बात खत्म होते ही मैंने दोबारा उसी तरफ देखा किंतु शायद वो मुझे दोस्त के साथ बात करते देख वहां से जा चुकी थी। 

जहां पर उसने रुक कर मेरी तरफ पलट कर देखा था। वहां पर हल्के नीले रंग का एक झुमका गिरा हुआ था। मैं और अमन भी उसी तरफ चलने लगे। झुमके वाली जगह पर पहुंच कर मैंने अपना मोबाइल नीचे गिराया। मोबाइल उठाते हुए साथ में झुमका भी उठा कर जेब में रख लिया। मैंने सोचा था कि इसी बहाने दोबारा मिलने पर बात करने का मौका मिल जाएगा। 

अगले दिन उसी समय पर मैं दोबारा वहां पहुंच कर उसकी प्रतीक्षा करने लगा। कुछ देर बाद वो वहां पर आ चुकी थी और इधर-उधर अपनी नज़र घुमाकर देखने लगी। मैं चुपचाप उसके पास जा कर खड़ा हो गया और उसकी हरकतों को देख कर मुस्कुरा उठा। कोई सफलता ना मिलती देख वो वहां से जाने लगी तो मैंने हिम्मत करके उसे आवाज लगाई।

"सुनिए! आप कुछ ढूंढ रही हैं? क्या मैं आपकी कोई सहायता कर सकता हूं?" मैंने हिचकिचाहट के साथ उससे पूछा पर उसे शायद एक अनजान पर भरोसा करना सही नहीं लगा इस लिए वो चुपचाप वहां से जाने लगी तो…,

"कहीं आप इसे ही तो नहीं ढूंढ रही थी?" मैंने अपनी वो हथेली आगे की ओर बढ़ाते हुए कहा जिसमें उसका झुमका रखा हुआ था। उसने डरते हुए मेरे हाथ से झुमका उठाया और एक दम से वहां से भाग गई। कुछ दूर जा कर उसने धीरे से मुस्कुराते हुए मेरी तरफ पलट कर देखा तो मैंने मुस्कुराते हुए हाथ हिलाकर अलविदा कहा तो वो मुस्कुराई और वहां से चली गई। मैं तब तक मुस्कुराते हुए अपना हाथ हिलाता रहा जब तक अमन ने आ कर मुझे हिला कर स्थिति का ज्ञान नहीं करवाया।

"क्या हुआ राज? तुम आज फिर इसी जगह। इतना मुस्कुरा कर कहां देखे जा रहे हो?" अमन ने मेरी नज़र का पीछा करते हुए दूसरी तरफ देखा किंतु वहां कोई था ही नहीं तो नज़र कैसे आता और जो थी, वो तो कब की वहां से चली गई थी तो मैं भी अमन के साथ उसकी बात बदल कर वापिस होटल की तरफ चला गया।

अगले दिन हमारी टीम वापिस जाने वाली थी तो मैं काम का बहाना बना कर वहीं रुक गया। अब अमन तो था ही पैदायशी चिपकू तो उसने तुरन्त ही अपनी तबियत खराब होने का बहाना बना डाला। मैनेजमेंट ने हम दोनों को रुकने की इजाजत दे दी। अमन को कमरे में छोड़ कर मैं बाहर घूमने चला गया कि शायद फिर से उससे मुलाकात हो जाए। मुलाकात हुई तो जरूर पर वो हमारी आखिरी मुलाकात साबित हुई। 

जब मैं वहां पहुंचा तो वो वहां किसी दुकान पर खरीदारी करने में व्यस्त थी। मैं चुपचाप उससे कुछ दूरी पर खड़ा हो गया। उसनेे जैसे ही मेरी तरफ देखा तो मैंने हाथ हिलाकर इशारा किया। जिसका जवाब उसने दोनों हाथों को जोड़कर दिया। शापिंग खत्म कर वो वापस जाने लगी तो मैं भी उसके पीछे-पीछे बाहर की तरफ चल दिया। उसने मुझे अपने पीछे आते देखा तो आसपास देख कर धीरे से मना कर दिया। मैंने उसे रेस्टोरेंट की तरफ इशारा किया और अंदर चला गया। 

कुछ देर बाद वो (माहिरा) भी रेस्टोरेंट में मेरे सामने वाली कुर्सी पर आ कर बैठ गई। मैनें पहले ही दो चाय का आर्डर दिया हुआ था, तो वो चुपचाप इधर-उधर देखते हुए चाय पीने लगी। कुछ देर बात करने के बाद उसने मुझे अपना घर और शहर दिखाने के लिए आमंत्रित किया जो मैंने तुरंत स्वीकार कर लिया।

माहिरा के घर में कुछ देर उसके परिवार से बातें करने के बाद वो मुझे अपना शहर दिखाने ले गयी। जब घूमते हुए हम दोनों को काफी समय हो गया, तो कल फिर से मिलेंगे का वायदा करके एक प्यारी-सी मुस्कान के साथ "बाय!" बोलते हुए उसके कदम तेजी से दौड़ते हुए उसके घर की ओर बढ़ने लगे, पर मैंने जल्दी-से उसका हाथ थामकर उसे रोक लिया।

वो मुझे घूरकर देखते हुए इसका कारण पूछी, तो मैं जमीन की ओर ताकता हुआ धीमी-सी आवाज में उससे बोला, "कि मेरी धड़कने अचानक से बहुत तेज हो गई है, मुझे किसी अनिष्ट की आशंका हो रही है। प्लीज्! थोड़ी देर और रुक जाओ।"

मेरे इस तरह आग्रह करने पर भी वह न रुकी। और मुझसे अपना हाथ जबरन छुड़ाकर "तुम चिंता मत करो! हम कल पक्का फिर से मिलेंगे।" एक प्यारी-सी मुस्कुराहट के साथ बोलकर दौड़ती हुई कुछ कदम आगे बढ़ी ही थी, कि एक बस ने आकर उसे जोरदार टक्कर मारी और मेरी ही आँखों के समक्ष मेरे पहले और आखिरी प्यार ने अपना दम तोड़ दिया।

माहिरा भले ही तुम इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी हो, पर मेरी यादों में तुम आज भी जीवित हो। जब-जब बारिश की बूंदें मुझे छूती है तो मेरे पैर अपने-आप अनायास ही किसी सड़क की ओर इस लालसा में खिंचे चले जाते है, कि अभी तुम साइकिल पर फिर से गुजरोगी। फिर से मेरी आँखों को एक-बार तुम्हारी झलक मिलेगी। काश माहिरा! काश! मेरा यह ख्याल सच हो जाता, मेरा यूँ बारिश में घण्टों तुम्हारे इंतजार में खड़ा रहना बर्बाद नही जाता। काश!!

समाप्त…!

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12 Comments

Shrishti pandey

16-Mar-2022 07:40 PM

Very nice

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Satvinder Singh

16-Mar-2022 07:45 PM

Thanks

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Punam verma

16-Mar-2022 08:52 AM

Nice one

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Satvinder Singh

16-Mar-2022 07:45 PM

Thanks For Your Comment

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Dr. Arpita Agrawal

16-Mar-2022 12:18 AM

मार्मिक भावभिव्यक्ति 👌👌

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Satvinder Singh

16-Mar-2022 07:23 AM

धन्यवाद आपका

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